tag:blogger.com,1999:blog-4569329815590487600.post7756314916971639578..comments2023-07-23T06:53:53.407-04:00Comments on सद् वचन: आज का चिंतनवीना शर्माhttp://www.blogger.com/profile/14735392139564715274noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4569329815590487600.post-68582350164646588292011-11-04T04:29:49.797-04:002011-11-04T04:29:49.797-04:00कबीर दास जी कह गए हैं:-
सर राखे सर जात है,सर काट...कबीर दास जी कह गए हैं:-<br /><br />सर राखे सर जात है,सर काटे सर होत <br />जैसे बाती दीप की ,जले उजालो होत <br /><br />सर यानि अहंकार रखने से,हर कोई आपके अहंकार <br />का मर्दन करता है.परन्तु अहंकार का खुद ही मर्दन <br />करने से सबसे सम्मान मिलने लगता है.यानि <br />आपकी विनम्रता सम्मानित और प्रकाशित होती है.<br />जैसे दीप की बाती स्वयं ही जल कर उजाला कर देती है.<br /><br />आलोचना से भी आहत तब ज्यादा होते हैं,जब हम <br />अपने अहंकार को स्वयं मान देकर पोषित करते हैं.<br /><br />आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार, वीना जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.com