सुख और दुख को सामान्य आदमी तो समान भाव से ग्रहण कर नहीं सकता । आम आदमी के लिए एक दूसरी व्यवस्था की ज़रूरत है जो व्यवहारिक हो ।
''बीज गर नफरत के बोये जायेंगे, फल मोहब्बत के कहाँ से लायेंगे.''
------ भारत की भूमि प्यार से लबालब है। यह ख़ुशी की बात है। जहां प्यार होगा वहां श्रृद्धा ज़रूर होगी। हम भारतवासी इसी प्यार के बलबूते पर जीते हैं। तमाम कष्टों के बावजूद भी यह प्यार हमें आज भी नसीब है। यही हमारी संस्कृति है और यही हमारा धर्म है। धर्म के प्रति यहां ज़्यादातर लोगों में अपार श्रृद्धा है। कोई इस श्रृद्धा को सही दिशा दे सके, उसका यहां सदा से स्वागत है। प्यार का रिश्ता ही इंसानियत की पहचान है I love my India
सुख और दुख को सामान्य आदमी तो समान भाव से ग्रहण कर नहीं सकता ।
जवाब देंहटाएंआम आदमी के लिए एक दूसरी व्यवस्था की ज़रूरत है जो व्यवहारिक हो ।
''बीज गर नफरत के बोये जायेंगे,
फल मोहब्बत के कहाँ से लायेंगे.''
------
भारत की भूमि प्यार से लबालब है। यह ख़ुशी की बात है।
जहां प्यार होगा वहां श्रृद्धा ज़रूर होगी।
हम भारतवासी इसी प्यार के बलबूते पर जीते हैं।
तमाम कष्टों के बावजूद भी यह प्यार हमें आज भी नसीब है।
यही हमारी संस्कृति है और यही हमारा धर्म है।
धर्म के प्रति यहां ज़्यादातर लोगों में अपार श्रृद्धा है। कोई इस श्रृद्धा को सही दिशा दे सके, उसका यहां सदा से स्वागत है।
प्यार का रिश्ता ही इंसानियत की पहचान है I love my India