सद् वचन
नया दिन, नया विचार
शुक्रवार, 18 नवंबर 2011
आज का चिंतन
"इस शरीर को जीर्ण वस्त्र की भांति उतार फैंकना, इसको छोड़ देना कदाचित श्रेयस्कर हो सकता है. परन्तु मनुष्य की सेवा....वह मैं नहीं छोड़ सकता."
........विवेकानंद
1 टिप्पणी:
मदन शर्मा
19 नवंबर 2011 को 4:57 am बजे
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..!!
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बहुत बढ़िया प्रस्तुति..!!
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