गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

आज का चिंतन

आप दूसरों को तभी ऊपर उठा सकते हैं, जब आप स्वयं ऊपर उठ चुके हों.
.........शिवानन्द 

1 टिप्पणी:

  1. स्वयं ऊपर उठना ही पुरषार्थ है जी.
    बहुत सुन्दर चिंतन है आज का.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,वीना जी.

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