"भगवान को पाया जा सकता है - ठीक जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ और तुमसे बात कर रहा हूँ. पर इसके लिए परिश्रम कौन करना चाहता है ? लोग स्त्री के लिए, संतान के लिए या संपत्ति के लिए रोते हैं. पर भगवत्प्रेम के कारण कौन रोता है ? पर अगर कोई सच्चे ह्रदय से भगवान् के लिए रोये तो वह अवश्य भगवान को प्रत्यक्ष पा सकेगा."
तक़दीर और तदबीर दोनों कार्यकारी हैं. भाग्य और पुरुषार्थ एक दूसरे के आश्रित हैं. आप आज जो पुरुषार्थ करते हैं वही कल आपका भाग्य बन जाएगा और जैसा आपका भाग्य है वैसा ही आपका पुरुषार्थ बन जाएगा.