तक़दीर और तदबीर दोनों कार्यकारी हैं. भाग्य और पुरुषार्थ एक दूसरे के आश्रित हैं. आप आज जो पुरुषार्थ करते हैं वही कल आपका भाग्य बन जाएगा और जैसा आपका भाग्य है वैसा ही आपका पुरुषार्थ बन जाएगा.
.....अशोक मुनि
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