जब तक प्रेम की वीणा नहीं बजेगी, तब तक परमात्मा को नहीं पहचान सकोगे. तर्क से परमात्मा नहीं मिलता, बुद्धी से भी परमात्मा नहीं मिलता, प्रवचन से भी नहीं मिलता, वह जब भी मिलेगा प्रेम से ही मिलेगा.
.....स्वामी कूटस्थानंद
आदरणीया वीणा जी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम !
बहुत सही कहा आपने - परमात्मा जब भी मिलेगा प्रेम से ही मिलेगा…
आपके यहां जीवनोपयोगी विचारों का , अमृतवचनों का अनुपम भंडार है … आपके कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए , कम है … पुनः नमन !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार