मैंने पाया है कि सभी एक ही ईश्वर की ओर बढ़ते हैं यद्यपि अलग अलग मार्गों से. तुम्हें एक साथ ही सब विश्वास परखने और सब मार्ग पार करने चाहिए. मैं जिधर देखता हूँ लोगों को धर्म के नाम पर झगडते हुए पाता हूँ - हिंदू मुसलमान, ब्राह्मण वैष्णव वगैरह- पर वे लोग यह नहीं देखते कि जिसे कृष्ण कहा जाता है उसी को शिव कहा जाता है, वही आद्या शक्ति है, वही ईसा और अल्लाह भी-वही सहस्त्र नामधारी राम भी. एक ही ताल के अनेक घाट हैं. एक से हिंदू घड़ा भरते हैं वह जल होता है, दूसरे से मुसलमान मशक भरते हैं वह पानी होता है, तीसरे से ईसाई जो लेते हैं वह वाटर कहलाता है. क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि वह द्रव जल नहीं है केवल पानी या वाटर है ? कैसी मूर्खता होगी वह ! एक ही तत्व के अनेक नाम हैं, हर कोई एक ही परमतत्व की तलाश में है. देश, काल, स्वभाव, नाम बदलते हैं, पर तत्व नहीं बदलता. प्रत्येक अपने अपने मार्ग से चले, अगर उसमें सच्चाई और लगन है तो उसका कल्याण हो - उसे अवश्य भगवान मिलेंगे.
.......रामकृष्ण परमहंस
.......रामकृष्ण परमहंस
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