सोमवार, 22 अगस्त 2011

आज का चिंतन - मनुष्य शरीर

यह मनुष्य जीवन अनेकानेक जन्मों के पश्चात प्राप्त होता है और, यद्यपि यह अनित्य ही है, यह परम पुरुषार्थ की प्राप्ति करा सकता है. अतः एक शांत और बुद्धिमान पुरुष को तत्काल ही जीवन का लक्ष्य पूर्ण करने का प्रयत्न करना चहिये और अगली म्रत्यु आने के पूर्व जीवन के परम पुरुषार्थ की प्राप्ति कर लेनी चहिये. उसे इन्द्रिय तृप्ति से बचना चहिये, क्यों कि वह तो सभी अवस्था (योनियों) में प्राप्त हो सकती है.
     श्रीमदभागवत (११.९.२९)

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