संतोषी आदमी को दुःख सुख एक समान होते हैं और दूसरों की आलोचना या प्रशंसा उसे प्रभावित नहीं करती.
शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011
बुधवार, 28 दिसंबर 2011
मंगलवार, 27 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
संयमी पुरुषों को न तो विषयों में आसक्ति होती है और न वे विषयों के लिए युक्ति करते हैं. (संकलित)
सोमवार, 26 दिसंबर 2011
शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
जो मनुष्य खूब सोच-विचार कर काम शुरू करता है, आरम्भ किये काम को समाप्त किये बिना नहीं छोड़ता, किसी भी समय काम करने से मुंह नहीं मोड़ता और इन्द्रियों को वश में रखता है, वही पंडित कहलाता है. (संकलित)
गुरुवार, 22 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
माँ तुम्हारे समर्थ होने तक अपने दिन के २४ घंटे तुम्हें दे देती है, लेकिन तुम उसके बदले में उसको प्रतिदिन उतने मिनट भी नहीं दे सकते?
बुधवार, 21 दिसंबर 2011
मंगलवार, 20 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
ज्ञान से भी ज्यादा कल्पना का महत्व है. ज्ञान की सीमा है, जबकि कल्पना की कोई भी सीमा नहीं है. वह अगाध है. (संकलित)
सोमवार, 19 दिसंबर 2011
शनिवार, 17 दिसंबर 2011
शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
कोई भी आपके पास आये, ईश्वर समझ कर उसका स्वागत करो, परन्तु उसके साथ - साथ अपने को भी अधम मत समझो. (संकलित)
गुरुवार, 15 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
जैसे सूरज का प्रकाश भिन्न भिन्न ग्रहों पर पड़ता है लेकिन उसके प्रकाश में कोई अंतर नहीं होता, उसी प्रकार ईश्वर विभिन्न जीवों में निवास करता है लेकिन उसमें कोई अंतर नहीं होता. (संकलित)
बुधवार, 14 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
जो हम से धन, संपत्ति, सुख-सुविधा, मान-सम्मान, पूजा-सत्कार आदि कुछ भी चाहता है, वह हमारा कल्याण नहीं कर सकता. (संकलित)
मंगलवार, 13 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
शोक करने वाला मनुष्य न तो मरे हुए के साथ जाता है और न स्वयं ही मरता है. जब दुनियां की यही स्वाभाविक रीति है, तो आप किसके लिए बार बार शोक करते हो. (संकलित)
सोमवार, 12 दिसंबर 2011
शनिवार, 10 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
इन मकानों, हवेलियों और ऊंचे ऊंचे महलों में अपने मन को मत लगा। तेरे ऊपर बिन तोल मिट्टी पड़ेगी, तब वहाँ तेरा कोई मित्र नहीं होगा। (संकलित)
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
जब तक तुम्हें अपना सम्मान और दूसरे का अपमान सुख देता है, तब तक तुम अपमानित ही होते रहोगे।
......... हनुमान प्रसाद पोद्दार
......... हनुमान प्रसाद पोद्दार
गुरुवार, 8 दिसंबर 2011
बुधवार, 7 दिसंबर 2011
मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
दुःख आने पर मुस्कराओ. उसका सामना कर के विजयी होने का साधन इसके समान कोई नहीं है.
.......तिरुवल्लुवर
.......तिरुवल्लुवर
सोमवार, 5 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी कठिनाइयों के बारे में सोचेंगे तो वह कार्य कभी भी पूरा नहीं होगा. इसलिये कार्य को पूरा करके ही दम लेना चाहिए. (संकलित)
रविवार, 4 दिसंबर 2011
शनिवार, 3 दिसंबर 2011
गुरुवार, 1 दिसंबर 2011
आज का चिंतन
मार्गों के किनारे पर वृक्ष हैं और हर मार्ग में पथिक उसका आश्रय लेते हैं, लेकिन ऐसा वृक्ष विरला ही होता है जिसका स्मरण पथिक घर पहुँच कर भी करता है.
.........पं. राज जगन्नाथ
.........पं. राज जगन्नाथ
बुधवार, 30 नवंबर 2011
मंगलवार, 29 नवंबर 2011
आज का चिंतन
संसार रूपी विष वृक्ष के दो फल अमृत तुल्य हैं - काव्यामृत के रस का आस्वादन और सज्जनों की संगति. (अज्ञात)
सोमवार, 28 नवंबर 2011
आज का चिंतन
योगी व्यक्ति विरक्ति रूपी स्त्री के साथ सुखपूर्वक सोता है. यह पृथ्वी ही उसकी शैय्या है, भुजाएं तकिया, आकाश वितान, पवन पंखा और चन्द्रमा उसका दीपक है.
>>भर्तहरी
>>भर्तहरी
रविवार, 27 नवंबर 2011
आज का चिंतन
सुखी वही है जो सद्गुणी और सदाचारी है. जिसने काम, क्रोध, लोभ और मोह को जीत लिया है, वही अमरत्व को प्राप्त होता है. (संकलित)
शनिवार, 26 नवंबर 2011
शुक्रवार, 25 नवंबर 2011
आज का चिंतन
वही मनुष्य महान है जो भीड़ की प्रशंसा की उपेक्षा कर सकता है और उसकी कृपा से स्वतंत्र रह कर प्रसन्न रहता है.
.........एडीसन
.........एडीसन
गुरुवार, 24 नवंबर 2011
बुधवार, 23 नवंबर 2011
आज का चिंतन
जिसने स्वर्ग-नरक नहीं देखा, उसके लिए यह जानना अच्छा है की कर्म स्वर्ग है और अकर्म नरक. (संकलित)
सोमवार, 21 नवंबर 2011
आज का चिंतन
ईश्वर हमारे साथ है. पुरुषार्थ करने की, काम करने की शक्ति ईश्वर ही हमें प्रदान करता है. इस भावना से प्रेरित होकर जिएंगे तो हमारे जीवन में दिव्यता का अनुभव अवश्य होगा. हमारा कर्म ही हमारी भक्ति बनेगा, उन्नति के लिए साधन बनेगा.
.......रमेश भाई ओझा "भाईजी"
.......रमेश भाई ओझा "भाईजी"
शनिवार, 19 नवंबर 2011
आज का चिंतन
कर्मयोगी अपने लिए कुछ नहीं करता, अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता. वह अपना कुछ मानता ही नहीं. इसलिए उसमें कामनाओं का नाश सुगमतापूर्वक हो जाता है और परम उद्देश्य की पूर्ती स्वतः हो जाती है.
........स्वामी विश्वास जी
........स्वामी विश्वास जी
शुक्रवार, 18 नवंबर 2011
आज का चिंतन
"इस शरीर को जीर्ण वस्त्र की भांति उतार फैंकना, इसको छोड़ देना कदाचित श्रेयस्कर हो सकता है. परन्तु मनुष्य की सेवा....वह मैं नहीं छोड़ सकता."
........विवेकानंद
........विवेकानंद
गुरुवार, 17 नवंबर 2011
आज का चिंतन
दो बैर करने वालों के बीच में ऐसी बात न कहें कि यदि वे मित्र बन जाएँ तो तुम्हें लज्जित होना पड़े. (संकलित)
बुधवार, 16 नवंबर 2011
आज का चिंतन
सत्य को किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं होती है. वह स्वयं प्रगट होता है.
......महात्मा गांधी
......महात्मा गांधी
मंगलवार, 15 नवंबर 2011
सोमवार, 14 नवंबर 2011
आज का चिंतन
योगी बनने के लिए उपयोगी बनो. जो अपनी उपयोगिता खो देता है वह फेंक दिया जाता है, चाहे व्यक्ति हो, चाहे वस्तु हो. अतः प्रेम के द्वारा अपने प्रभु के लिए, त्याग के द्वारा सबके लिए उपयोगी बनो. (संकलित)
रविवार, 13 नवंबर 2011
शनिवार, 12 नवंबर 2011
आज का चिंतन
जिसने संसार की तमाम वस्तुएं संसार को अर्पित कर दी हैं, वही संसारिक चिंतन से रहित होता है. जड़ वस्तुओं की आसक्ति त्याग कर ही भगवद चिंतन संभव है. (संकलित)
शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
गुरुवार, 10 नवंबर 2011
आज का चिंतन
संसार एक यात्रा है और मनुष्य यात्री है. यहाँ पर किसी का विश्राम करना केवल एक धोखा है.
.......सनाई
.......सनाई
बुधवार, 9 नवंबर 2011
आज का चिंतन
परमात्मा से विमुख होकर आत्मा आनंदित नहीं रह सकती. मानव को सुख, शांति और आनंद तभी प्राप्त हो सकता है, जब वह स्वयं को परमात्मा के सान्निध्य में ले जाकर अपनी आत्मा को परमानन्दमय ज्योति में मिला दे. (संकलित)
सोमवार, 7 नवंबर 2011
आज का चिंतन
सामने वाले व्यक्ति में जिस गुण की कमी है, उस सद्गुण का प्रत्यक्ष दर्शन अपने व्यवहार द्वारा करा देना ही उसकी सबसे बड़ी सेवा है.
.......अरुंडेल
रविवार, 6 नवंबर 2011
आज का चिंतन
सुखी परिवार सब एक जैसे होते हैं. लेकिन प्रत्येक दुखी परिवार अपने तरीके से दुखी होता है. (संकलित)
शनिवार, 5 नवंबर 2011
आज का चिंतन
दूसरों को दुःख देने वाले को स्वयं दुखी होना पड़ता है, क्योंकि जो दिया जाता है वही बढ़कर वापिस मिलता है. (संकलित)
शुक्रवार, 4 नवंबर 2011
आज का चिंतन
अगर आपकी आलोचना हो रही है तो अपनी आँखें बंद करें और महसूस करें कि आपको कैसा लग रहा है. उस भावना को सम्मान से स्वीकार करें. आप कम आहत महसूस करेंगे.
.....चेतन भगत
गुरुवार, 3 नवंबर 2011
बुधवार, 2 नवंबर 2011
आज का चिंतन
बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, उनको किसी भी प्रकार का आकार दे सकते हैं. इसलिए उनको अच्छे संस्कार देने चाहिए, वही कल के भविष्य हैं. (संकलित)
मंगलवार, 1 नवंबर 2011
आज का चिंतन
जो शील का पालन करते हुए ही जीवन बिताता है, वही सच्चे अर्थों में जीता है.
.........पद्म पुराण
.........पद्म पुराण
सोमवार, 31 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
कई ने घर त्याग दिए, कई वनवास करने लगे, यदि चंचल मन नियंत्रित न हुआ तो सब विफल है, कहीं भी सुख नहीं मिलेगा. (संकलित)
रविवार, 30 अक्टूबर 2011
शनिवार, 29 अक्टूबर 2011
गुरुवार, 27 अक्टूबर 2011
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
भद्र व्यक्ति वह है, जो दुनियां से जितना लेता है, उससे कहीं अधिक देता है.
......जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
......जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
सोमवार, 24 अक्टूबर 2011
रविवार, 23 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
जो निष्काम कर्म की राह पर चलता है, उसे इस बात की परवाह कब रहती है कि किसने उसका अहित साधन किया है.
......बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
......बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
बुधवार, 19 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
भक्ति मार्ग पर चलने के लिये प्रपन्चों की ज़रूरत नहीं बल्कि श्रद्धा की आवश्यकता होती है.
......स्वरूपानंद
......स्वरूपानंद
मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011
गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
अज्ञानी व्यक्ति को प्रसन्न करना सरल है, विद्वान को प्रसन्न करना उससे भी सरल है, लेकिन ज्ञान के आधार पर अहंकारी मनुष्य को प्रसन्न कर पाना ब्रह्मा के लिये भी असंभव है. (संकलित)
बुधवार, 12 अक्टूबर 2011
मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011
सोमवार, 10 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
जैसे जैसे हम बाह्य रूपों की विविधता में उलझते जाते हैं, वैसे-वैसे उनके मूलगत जीवन को भूलते जाते हैं.
......महादेवी वर्मा
......महादेवी वर्मा
रविवार, 9 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन - योगी
"योगी बनने के लिये उपयोगी बनो. जो अपनी उपयोगिता खो देता है वह फेंक दिया जाता है, चाहे व्यक्ति हो, चाहे वस्तु हो. अतः प्रेम के द्वारा अपने प्रभु के लिए, त्याग के द्वारा सबके लिए उपयोगी बनो." (संकलित)
शनिवार, 8 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन - प्रशंसा
"दूसरा व्यक्ति तुम्हारी प्रशंसा करे, न कि तुम्हारा अपना मुख, कोई अपरिचित मनुष्य, न कि तुम्हारे अपने होठ." ...(संकलित)
शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन - क्रोध
जो अपना क्रोध सह लेता है, वही दूसरों के क्रोध को सह सकता है और वही सुखी होता है. (संकलित)
गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011
बुधवार, 5 अक्टूबर 2011
आज का चिंतन
हंसी बाँट लेने से अनंत हो जाती है. दुःख बंटता है तो हल्का हो जाता है और सुख बंटता है तो दो गुना हो जाता है.
....दादा धर्माधिकारी
....दादा धर्माधिकारी
मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011
सोमवार, 3 अक्टूबर 2011
रविवार, 2 अक्टूबर 2011
शनिवार, 1 अक्टूबर 2011
शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
आज का चिंतन - विश्राम
"विश्राम करने का समय वही होता है, जब तुम्हारे पास उसके लिये समय न हो."
...(संकलित)
...(संकलित)
गुरुवार, 29 सितंबर 2011
आज का चिंतन - संपत्ति
"यह संपत्ति क्या है ? केवल कुछ चीजें, जिन्हें तुम इस भय से कि इनकी कल तुम्हें जरूरत पड़ सकती है, संचित करते हो और जिनकी रखवाली करते हो."
....(संकलित)
....(संकलित)
बुधवार, 28 सितंबर 2011
आज का चिंतन
"दूसरे को सुधारने का अहंकार पालने से अच्छा है हम अपने आपको सुधारें। सदमार्ग पर चलने का संकल्प लें।"
... (संकलित)
... (संकलित)
मंगलवार, 27 सितंबर 2011
आज का चिंतन
इस अपार संसार में आज एक, प्रात काल दूसरे तथा अगले दिन अन्य चले जाते है. शोक करने के लिये कौन स्थिर हैं.
....अज्ञात
....अज्ञात
सोमवार, 26 सितंबर 2011
आज का चिंतन
" जब तक करोड़ों जन भूख और अज्ञान से पीड़ित जीवन बिताते रहेंगे, मैं ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को देश-द्रोही कहूंगा जो उन्ही के पैसों से शिक्षा प्राप्त करके फिर उनकी ओर देखता तक नहीं. "
......विवेकानन्द
,
......विवेकानन्द
,
रविवार, 25 सितंबर 2011
आज का चिंतन
" किसी की बात को इस लिए नहीं ग्रहण करो कि मैंने वह कही है. स्वयं परीक्षा करके देखो."
......रामकृष्ण परमहंस
......रामकृष्ण परमहंस
शनिवार, 24 सितंबर 2011
शुक्रवार, 23 सितंबर 2011
आज का चिंतन
" जो व्यक्ति अहंकारग्रस्त होकर अपने मुख से ही स्वयं को 'भगवान का अवतार ' बता कर अपनी पूजा कराकर लोगों को स्वर्ग भेजने की गारंटी लेता है, वह धार्मिक शोषण के पाप का भागी बनाता है। "
......अज्ञात
......अज्ञात
गुरुवार, 22 सितंबर 2011
आज का चिंतन - आत्मानंद
कार्य करने की शक्ति व्रद्धावस्था में कम होगी ही. लेकिन उसके बदले ध्यान शक्ति बढ़ाई जा सकती है. यह प्रयोग सध गया तो कर्म शक्ति की पूर्ती हो जायेगी और आत्मानंद का लाभ मिल सकता है.
.....अज्ञात
.....अज्ञात
बुधवार, 21 सितंबर 2011
मंगलवार, 20 सितंबर 2011
आज का चिंतन
शांति से क्रोध को जीतें, मृदुता से अभिमान को जीतें. सरलता से माया को जीतें, संतोष से लोभ को जीतें.
सोमवार, 19 सितंबर 2011
आज का चिंतन - संसार
संसार ही युद्ध क्षेत्र है. इससे पराजित होकर शस्त्र अर्पण करके जीने से क्या लाभ ?
रविवार, 18 सितंबर 2011
आज का चिंतन
मैं परदेसी काहि पुकारों, इहां नहीं को मेरा ।
यह संसार ढूंढि सब देख्या, एक भरोसा तेरा॥
...... कबीर
यह संसार ढूंढि सब देख्या, एक भरोसा तेरा॥
...... कबीर
शनिवार, 17 सितंबर 2011
आज का चिंतन - ईश्वर प्राप्ति
मैंने पाया है कि सभी एक ही ईश्वर की ओर बढ़ते हैं यद्यपि अलग अलग मार्गों से. तुम्हें एक साथ ही सब विश्वास परखने और सब मार्ग पार करने चाहिए. मैं जिधर देखता हूँ लोगों को धर्म के नाम पर झगडते हुए पाता हूँ - हिंदू मुसलमान, ब्राह्मण वैष्णव वगैरह- पर वे लोग यह नहीं देखते कि जिसे कृष्ण कहा जाता है उसी को शिव कहा जाता है, वही आद्या शक्ति है, वही ईसा और अल्लाह भी-वही सहस्त्र नामधारी राम भी. एक ही ताल के अनेक घाट हैं. एक से हिंदू घड़ा भरते हैं वह जल होता है, दूसरे से मुसलमान मशक भरते हैं वह पानी होता है, तीसरे से ईसाई जो लेते हैं वह वाटर कहलाता है. क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि वह द्रव जल नहीं है केवल पानी या वाटर है ? कैसी मूर्खता होगी वह ! एक ही तत्व के अनेक नाम हैं, हर कोई एक ही परमतत्व की तलाश में है. देश, काल, स्वभाव, नाम बदलते हैं, पर तत्व नहीं बदलता. प्रत्येक अपने अपने मार्ग से चले, अगर उसमें सच्चाई और लगन है तो उसका कल्याण हो - उसे अवश्य भगवान मिलेंगे.
.......रामकृष्ण परमहंस
.......रामकृष्ण परमहंस
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
आज का चिंतन
अगर तुम उसे न पा सको जिसे तुम चाहते हो, तो उसे ज़रूर पा लेना जो तुम्हें चाहते हैं, क्यों कि चाहने से चाहे जाने का एहसास ज्यादा ख़ूबसूरत है.
......हज़रत अली
बुधवार, 14 सितंबर 2011
आज का चिंतन
किसी शब्द का प्रयोग तब करो, जब समझ लो कि कोई दूसरा शब्द इस पर विजए प्राप्त नहीं कर पायेगा.
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
आज का चिंतन - अपमान
मृत्यु का दुःख तो अल्प समय तक ही रहता है, परन्तु अपमान का आघात हर समय चोट करने वाला होता है.
सोमवार, 12 सितंबर 2011
आज का चिंतन - ईश्वर
ईश्वर के लिए कोई प्रिय अप्रिय, अपना पराया नहीं है. उसके लिए सभी प्राणी प्रिय हैं, क्यों कि वे सब उसकी आत्मा हैं.
रविवार, 11 सितंबर 2011
आज का चिंतन
अपने दुश्मन को हजार मौके दो कि वो तुम्हारा दोस्त बन जाए, और अपने दोस्त को एक भी ऐसा मौका न दो कि वो तुम्हारा दुश्मन बन जाए.
शनिवार, 10 सितंबर 2011
आज का चिंतन
बाहर के कौतूहलों को देखने भर से किसी की प्यास नहीं बुझती, देखने योग्य भीतर है। उसी को खोजो और भावनापूर्वक देखो।
शुक्रवार, 9 सितंबर 2011
आज का चिंतन - सफलता
जीवन में वे ही सफल होते हैं जो दूसरों की गलतियों से सीख लेकर अपने जीवन में उसे नहीं दुहराते हैं।
गुरुवार, 8 सितंबर 2011
आज का चिंतन - क्रोध
क्रोध हमारी स्वाभाविक मन स्तिथि नहीं है. अपनी इच्छा के विपरीत जब हमें कुछ होता हुआ दिखता है तो हम क्रोधित हो जाते हैं. हम यह समझने की कोशिश क्यों नहीं करते की हम ईश्वर नहीं हैं, जो सब कुछ हमारी इच्छा से होगा.
बुधवार, 7 सितंबर 2011
आज का चिंतन - खुशी
ज़िंदगी की असल खूबसूरती यह नहीं की आप कितने खुश हैं, बल्कि ज़िंदगी की असल खूबसूरती तो यह है की दूसरे आप से कितने खुश हैं।
मंगलवार, 6 सितंबर 2011
आज का चिंतन - महानता
मैं देखता हूँ की जैसे जैसे आयु बीतती जाती है, वैसे-वैसे मैं नगण्य वस्तुओं में और भी महानता खोजता जाता हूँ। श्रेष्ठ पद पर आसीन होने से तो हर कोई महान हो जाएगा। कायर भी रंगमंच के प्रकाश में खड़ा कर दिया जाये तो साहस प्रदर्शित करेगा....संसार देख रहा है। मुझे तो सच्ची महानता अनवरत, अहर्निश, निशब्द अपना काम करते कृमि में अधिकाधिक स्पष्ट दिखायी दे रही है।
.....स्वामी विवेकानंद
सोमवार, 5 सितंबर 2011
आज का चिंतन - मोह
जीवन एक यात्रा है। यात्रा में हम रास्ते की वस्तुओं और लोगों से मोह नहीं पालते। इसलिये वास्तविक जीवन में वस्तुओं और लोगों से मोह कैसा ?
रविवार, 4 सितंबर 2011
आज का चिंतन - सम्मान
मेरा सम्मान ही मेरा जीवन है, दोनों एक साथ बढ़ते हैं. मेरा सम्मान नष्ट कर दोगे तो मेरा जीवन भी नष्ट हो जाएगा.
शनिवार, 3 सितंबर 2011
आज का चिंतन
अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति कभी अपमानित नहीं होता. स्वेच्छाचारी तथा मर्यादाहीन को पग पग पर अपमान का भय सताता रहता है.
शुक्रवार, 2 सितंबर 2011
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
आज का चिंतन
बुरे विचारों से बचने का एक अमोघ उपाय राम नाम है. लेकिन यह नाम कंठ से नहीं, ह्रदय से निकलना चाहिए.
........महात्मा गांधी
........महात्मा गांधी
बुधवार, 31 अगस्त 2011
आज का चिंतन - नम्रता
जो ज़मीन पर बैठता है, उसे कौन नीचे बैठा सकता है ? जो सब का दास बनता है, उसे कौन दास बना सकता है.
मंगलवार, 30 अगस्त 2011
सोमवार, 29 अगस्त 2011
रविवार, 28 अगस्त 2011
आज का चिंतन - आलोचना
अगर आपकी आलोचना हो रही हो तो अपनी आँखें बंद करें और महसूस करें कि आपको कैसा लग रहा है. उस भावना को सम्मान से स्वीकार करें. आप कम आहत महसूस करेंगे.
......चेतन भगत
......चेतन भगत
शनिवार, 27 अगस्त 2011
आज का चिंतन - दुःख और सुख
व्यक्ति तभी तक दुखी रहता है, जब तक वह अपने को दुखी मानता है. दुखी वही है जो कर्म पर विश्वास नहीं करते. प्राणी दुखी इसी कारण से है कि जो वह चाहता है वह मिलता नहीं हैं, जो मिलता है वह भाता नहीं है. वही दुखी है. सुखियों को देखकर प्रसन्न होना तथा दुखियों को देखकर करुणा से द्रवित होजाने वाला ही सच्चा वैष्णव है.
शुक्रवार, 26 अगस्त 2011
आज का चिंतन - उपकार का भार
हम सूखी रोटी से संतोष करेंगे, क्योंकि अपने कष्टों का भार लोगों के उपकार के भार से अच्छा है.
गुरुवार, 25 अगस्त 2011
आज का चिंतन - बल का अहंकार
कमज़ोर तो हारते ही हैं, किन्तु कभी कभी बलशाली बुरी तरह हारते हैं. बल का अहंकार ही उनके हारने का कारण हो जाता है.
...अज्ञात
बुधवार, 24 अगस्त 2011
आज का चिंतन - उत्साह
जिनके ह्रदय में उत्साह होता है, वे पुरुष कठिन से कठिन कार्य आ पडने पर हिम्मत नहीं हारते.
.....वाल्मीकि
.....वाल्मीकि
सोमवार, 22 अगस्त 2011
आज का चिंतन - मनुष्य शरीर
यह मनुष्य जीवन अनेकानेक जन्मों के पश्चात प्राप्त होता है और, यद्यपि यह अनित्य ही है, यह परम पुरुषार्थ की प्राप्ति करा सकता है. अतः एक शांत और बुद्धिमान पुरुष को तत्काल ही जीवन का लक्ष्य पूर्ण करने का प्रयत्न करना चहिये और अगली म्रत्यु आने के पूर्व जीवन के परम पुरुषार्थ की प्राप्ति कर लेनी चहिये. उसे इन्द्रिय तृप्ति से बचना चहिये, क्यों कि वह तो सभी अवस्था (योनियों) में प्राप्त हो सकती है.
श्रीमदभागवत (११.९.२९)
श्रीमदभागवत (११.९.२९)
रविवार, 21 अगस्त 2011
आज का चिंतन - उपकार
जो मनुष्य दूसरे का उपकार करता है वह अपना भी उपकार न केवल परिणाम में बल्कि उसी कर्म में करता है क्योंकि अच्छा कर्म करने का भाव अपने आप में एक उचित पुरस्कार है.
......सेनेका
शनिवार, 20 अगस्त 2011
आज का चिंतन - प्रेम
जैसे शरीर बिना कहे ही अपने अधीन होता है, उसी प्रकार सज्जन लोग भी प्रेमी जनों के वश में रहते हैं.
.......बाणभट्ट
.......बाणभट्ट
शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
आज का चिंतन - लालच
इस पृथ्वी पर प्रत्येक की आवश्यकताओं के लिए काफ़ी है, लेकिन उनके लालच के लिए नहीं.
.......महात्मा गांधी
गुरुवार, 18 अगस्त 2011
मंगलवार, 16 अगस्त 2011
आज का चिंतन - आत्मविश्वास
जो मनुष्य आत्मविश्वास से सुरक्षित है वह उन चिंताओं आशंकाओं से मुक्त रहता है, जिनसे दूसरे आदमी दबे रहते हैं.
.....स्वेट मार्डेन
.....स्वेट मार्डेन
रविवार, 14 अगस्त 2011
आज का चिंतन - मुक्ति
जो मनुष्य इसी जन्म में मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पडता है.
...विवेकानंद
...विवेकानंद
शनिवार, 13 अगस्त 2011
आज का चिंतन - आत्मविश्वास
आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम - केवल यही तीन जीवन को परम संपन्न बना देते हैं.
....टेनीसन
....टेनीसन
शुक्रवार, 12 अगस्त 2011
आज का चिंतन - आत्मसम्मान
जिस प्रकार दूसरों के अधिकार की प्रतिष्ठा करना मनुष्य का कर्तव्य है, उसी प्रकार अपने आत्मसम्मान की हिफाज़त करना भी उसका फर्ज है.
..स्पेंसर
..स्पेंसर
गुरुवार, 11 अगस्त 2011
आज का चिंतन - जीवन में उन्नति
केवल वही जीवन में उन्नति करता है, जिसका ह्रदय कोमल और मस्तिष्क तेज होता है और जिसके मन को शान्ति मिलती है.
.....रस्किन
.....रस्किन
बुधवार, 10 अगस्त 2011
शनिवार, 30 जुलाई 2011
आज का चिंतन - शील
शील मानव जीवन का अनमोल रत्न है. उसे जिस मनुष्य ने खो दिया उसका जीना ही व्यर्थ है. वह चाहे जितना धनी अथवा भरे पूरे घर का हो, उसका कोई मूल्य नहीं रहता.
.....वेदव्यास
.....वेदव्यास
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
आज का चिंतन - शिक्षा
शून्य ह्रदय वालों को शिक्षा देना सफल नहीं होता. मलायाचल पर्वत का बांस चन्दन के संसर्ग से चन्दन नहीं बन पाता.
.....चाणक्य
.....चाणक्य
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
सोमवार, 25 जुलाई 2011
रविवार, 24 जुलाई 2011
आज का चिंतन - विश्राम
विश्राम करने का समय वही होता है, जब तुम्हारे पास उसके लिये समय न हो.
...अज्ञात
...अज्ञात
शनिवार, 23 जुलाई 2011
आज का चिंतन - उपहार
शत्रु को उपहार देने योग्य सर्वोत्तम वस्तु है-क्षमा, विरोधी को सहनशीलता, मित्र को अपना ह्रदय, शिशु को उत्तम द्रष्टान्त, पिता को आदर और माता को ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व करे, अपने को प्रतिष्ठा और सभी मनुष्य को उपकार.
.......वालफोर
.......वालफोर
शुक्रवार, 22 जुलाई 2011
आज का चिंतन - धन का सदुपयोग
धन का उपयोग करने में प्राय दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें सदैव ध्यान में रखना चाहिये. पहली, अपात्र को धन देना और दूसरी, सुपात्र को धन न देना.
.....अज्ञात
.....अज्ञात
गुरुवार, 21 जुलाई 2011
आज का चिंतन - अंतःकरण
अंतःकरण अंदर की वह आवाज है जो हमें चेतावनी देती है कि कोई देख रहा है.
....अज्ञात
....अज्ञात
बुधवार, 20 जुलाई 2011
आत्म चिंतन - सच्चा ज्ञानी
सच्चे ज्ञानी के लिये सभी सांसारिक वस्तुएँ एक समान होती हैं. पत्थर, कोयला, रेत, लोहा और सोना सबको वह तिनके के बराबर देखता है.
.....अज्ञात
.....अज्ञात
मंगलवार, 19 जुलाई 2011
आज का चिंतन - स्वार्थ
कभी कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है.
....वेदव्यास
....वेदव्यास
सोमवार, 18 जुलाई 2011
आज का चिंतन - अपमान
मृत्यु का दुःख तो अल्प समय तक ही रहता है, किन्तु अपमान का आघात हर क्षण कचोटने वाला होता है.
........अज्ञात
........अज्ञात
रविवार, 17 जुलाई 2011
आज का चिंतन - अमृत और मृत्यु
अमृत और मृत्यु, दोनों इस शरीर में स्थिर हैं. मनुष्य मोह से मृत्यु और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है.
......अज्ञात
शनिवार, 16 जुलाई 2011
आज का चिंतन - आत्मज्ञान
हम यह तो जानते हैं कि हम कौन हैं? क्या हैं? लेकिन दुर्भाग्य से यह नहीं जानते कि हम क्या हो सकते हैं.
शुक्रवार, 15 जुलाई 2011
आज का चिंतन - सफलता
बड़ी सफलताओं के द्वार छोटी-छोटी सफलताओं से खुलते हैं. छोटी मंजिलें फतह करना शुरू कीजिये, एक दिन आप पायेंगे कि बड़ी मंज़िल स्वयं ही आपके द्वार पर आगई है.
......अज्ञात
......अज्ञात
गुरुवार, 14 जुलाई 2011
आज का चिंतन - संसार
हम इस संसार को ठहरने का घर बनाकर बैठे हैं, किन्तु यहाँ से तो नित्य चलने का धोखा बना रहता है.
बुधवार, 13 जुलाई 2011
आज का चिंतन - आत्मविश्वास
आत्मविश्वास बढाने का तरीका यह है कि तुम वह काम करो जिसे तुम करते हुए डरते हो. इस प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें सफलता मिलती जाएगी, तुम्हारा आत्मविश्वास बढता जाएगा.
............डेल कारनेगी
............डेल कारनेगी
मंगलवार, 12 जुलाई 2011
आज का चिंतन - विरोध और आंदोलन
हर सुधार का कुछ न कुछ विरोध अनिवार्य रूप से होता है. परन्तु विरोध और आंदोलन, एक सीमा तक, समाज में स्वास्थ्य के लक्षण होते हैं.
..........महात्मा गांधी
..........महात्मा गांधी
सोमवार, 11 जुलाई 2011
आज का चिंतन - धार्मिक सहिष्णुता
ईसाई को हिंदू या बौद्ध बनाना अथवा हिंदू या बौद्ध को ईसाई बनाना आवश्यक नहीं. परन्तु प्रत्येक को दूसरे की भावना आत्मसात करनी है और साथ ही अपना वैशिष्ट्य अक्षुण रखते हुए अपने ही नियमों के अनुसार विकास करना है. सर्व धर्म सम्मलेन ने यह सिद्ध कर दिया है कि धार्मिकता, पवित्रता और सहिष्णुता विश्व के किसी एक मठ की बपौती नहीं है और प्रत्येक व्यवस्था ने उदार चरित्र अन्यतम नर एवं नारी उत्पन्न किये हैं - प्रत्येक धर्मपताका पर अब प्रतिरोध के स्थान पर अंकित होगा 'लड़ो नहीं, साथ दो ' खंडन नहीं - संगम, समन्वय और शान्ति - विग्रह नहीं.
...........स्वामी विवेकानंद
...........स्वामी विवेकानंद
रविवार, 10 जुलाई 2011
आज का चिंतन - लोक निंदा
लोक निंदा का भय इसलिए है कि हमें बुरे कार्यों से बचाती है. अगर वह कर्तव्य में बाधक हो, तो उससे डरना कायरता है.
शनिवार, 9 जुलाई 2011
आज का चिंतन - दुःख और सुख
आप दुखी इस लिये होते हैं क्योंकि स्तिथियों को अपने अनुकूल निर्धारित करना चाहते हैं. स्तिथियों को अपने हाल पर छोड़ दीजिए और तटस्थ द्रष्टा बनकर देखिये. अपने भीतर असीम सुख का अनुभव करेंगे.
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
आज का चिंतन - आत्म ज्ञान
मैं कौन हूँ और कौन नहीं, इसको जानने में मैंने बहुत सी चीजें जान ली हैं. और वह कौन है और कौन नहीं, इसी को जानने में बहुत सी चीजें मैंने खो दी हैं.
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
आज का चिंतन - शान्ति के लिये
यदि व्यक्ति को शान्ति चाहिए तो उसे शान्त रहने से कोई रोक नहीं सकता, क्योंकि शान्ति के लिये कुछ करना नहीं पडता. सिर्फ़ जो कर रहे हो, जिसके कारण अशान्ति है, उसे करना बंद करो. बस फिर शान्ति ही शान्ति है.
बुधवार, 6 जुलाई 2011
आज का चिंतन - खुशी
किसी की खुशियों के पल में भागीदार बनना आसान है, लेकिन हमें उसकी खुशियों का कारण बनने की कोशिश करनी चाहिए. दूसरों के कठिन समय में उनकी भावनाओं को साझा करो, लेकिन कभी उनकी कठिनाइयों का कारण न बनो.
...........अज्ञात
...........अज्ञात
मंगलवार, 5 जुलाई 2011
आज का चिंतन - शांति पथ
सुख और दुःख, दोनों ही सहन करने के लिये हैं. हम उन्हें समान भाव से ग्रहण करें, तभी शान्ति मिल सकती है.
..........स्वामी विश्वेश्वरानंद
..........स्वामी विश्वेश्वरानंद
सोमवार, 4 जुलाई 2011
आज का चिंतन - बुद्धिमत्ता
कम पढना और ज्यादा सोचना, कम बोलना और ज्यादा सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है.
......रवीन्द्रनाथ ठाकुर
......रवीन्द्रनाथ ठाकुर
गुरुवार, 30 जून 2011
आज का चिंतन - संतोष
अपनी डिगनिटी को बनाये रखने के लिए मैं सदा संतोष की धूप में खड़ा रहता हूँ और स्वयं को इच्छाओं की छाया से दूर रखता हूँ.
...........ब्रह्मकुमार
...........ब्रह्मकुमार
बुधवार, 29 जून 2011
आज का चिंतन - प्रेम
जीवन प्रेम है, और जब मनुष्य दूसरों के प्रति भलाई करना बंद कर देता है तो उसकी आध्यात्मिक मृत्यु हो जाती है.
..............विवेकानंद
..............विवेकानंद
मंगलवार, 28 जून 2011
सोमवार, 27 जून 2011
आज का चिंतन - भगवत्प्रेम
"भगवान को पाया जा सकता है - ठीक जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ और तुमसे बात कर रहा हूँ. पर इसके लिए परिश्रम कौन करना चाहता है ? लोग स्त्री के लिए, संतान के लिए या संपत्ति के लिए रोते हैं. पर भगवत्प्रेम के कारण कौन रोता है ? पर अगर कोई सच्चे ह्रदय से भगवान् के लिए रोये तो वह अवश्य भगवान को प्रत्यक्ष पा सकेगा."
.........रामकृष्ण परमहंस
रविवार, 26 जून 2011
आज का चिंतन - सेवाभाव
दुनिया में रहते हुए भी सेवाभाव से और सेवा के लिए ही जो जीता है, वह सन्यासी है.
......महात्मा गांधी
शनिवार, 25 जून 2011
आज का चिंतन - तक़दीर और तदबीर
तक़दीर और तदबीर दोनों कार्यकारी हैं. भाग्य और पुरुषार्थ एक दूसरे के आश्रित हैं. आप आज जो पुरुषार्थ करते हैं वही कल आपका भाग्य बन जाएगा और जैसा आपका भाग्य है वैसा ही आपका पुरुषार्थ बन जाएगा.
.....अशोक मुनि
शुक्रवार, 24 जून 2011
आज का चिंतन - इबादत
अपना गम ले के कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए.
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए.
.......निदा फाज़ली
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए.
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए.
.......निदा फाज़ली
गुरुवार, 23 जून 2011
आज का चिंतन - प्रेम और परमात्मा
जब तक प्रेम की वीणा नहीं बजेगी, तब तक परमात्मा को नहीं पहचान सकोगे. तर्क से परमात्मा नहीं मिलता, बुद्धी से भी परमात्मा नहीं मिलता, प्रवचन से भी नहीं मिलता, वह जब भी मिलेगा प्रेम से ही मिलेगा.
.....स्वामी कूटस्थानंद
बुधवार, 22 जून 2011
आज का चिंतन - ध्यान
ध्यान का सिर्फ इतना अर्थ है कि हम अतीत और भविष्य को छोड़ कर गुजर रहे वर्त्तमान क्षण में जियें. ऐसा करने के लिए आँख बंद करके कहीं बैठना जरूरी नहीं है. सब कुछ करते हुए भी हम ध्यान की अवस्था में रह सकते हैं. यही योग है.
...............जे.कृष्णमूर्ति
मंगलवार, 21 जून 2011
आज का चिंतन - सुख और दुःख
ईश्वर ने कभी वायदा नहीं किया कि आकाश हमेशा नीला ही रहेगा, आजीवन रास्ते में फूल ही फूल बिखरे मिलेंगे. उसने कभी नहीं कहा कि आकाश में सूर्य हमेशा चमकता ही रहेगा, बादलों से कभी नहीं ढकेगा. उसने दुःख और वेदना के बगैर जीवन में शान्ति का कोई वायदा नहीं किया है.
.......ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
सोमवार, 20 जून 2011
रविवार, 19 जून 2011
आज का विचार - सेवा
सेवा छोटी है या बड़ी, इसकी कीमत नहीं है. वह किस भावना से की जा रही है, उसकी कीमत है.
.......विनोबा भावे
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