शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

आज का चिंतन

जब तक तुम्हें अपना सम्मान और दूसरे का अपमान सुख देता है, तब तक तुम अपमानित ही होते रहोगे। 
......... हनुमान प्रसाद पोद्दार 

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